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जाने कहा रेलवे सिंग्नल ही बन सकता था हादसे का कारण


कोटा| सोगरिया स्टेशन के पास नई बिछाई गई डबल लाइन के शुरुआत के दूसरे दिन ही गुरुवार को एक हादसा सामने आया है। यहां एक सिंग्नल पोल ट्रेन संचालन के लिए लगे बिजली के तारों (ओएचई) पर गिर गया। इसके चलते करीब एक घंटे तक रेल यातायात ठप रहा। बाद में तारों की मरम्मत कर ट्रेनों का संचालन शुरु किया गया। रेलवे ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। 


सूत्रों ने बताया कि पटरियों के दोहरीकरण का कार्य कर रही रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) द्वारा नए लगाने के बाद पुराने सिंग्नल हटाने का काम किया जा रहा है। पूराने सिंग्नल हटाने कलए आरवीएनएल ने ठेका दे रखा है। 
ठेकेदार द्वारा सोगरिया स्टेशन पर सिंग्नल हटाने का काम किया जा रहा था। इसी दौरान भारी भरकम पूरा सिंग्नल पोल अचानक बिजली के तारों पर गिर गया। गनिमत रही की तारों ने पोल का वजन झेल लिया। इसके चलते सिंग्नल नीचे जमीन पर नहीं गिर सका। अगर सिंग्नल जमीन पर गिरता तो इसकी चपेट में आकर ठेका और रेल कर्मचारी हताहत हो सकते थे। हालांकि काम के चलते बिजली के तारों में करंट नहीं होना बताया जा रहा है। वैसे भी बिजली की लाइन में कोई भी खराबी आने पर तुरंत फ्यूज उड़ जाता है। लेकिन पास की पुरानी बिजली लाइन के इंडेक्शन के चपेट में भी कर्मचारी आ सकते थे। चालू बिजली लाइन के करीब दो मीटर तक लोगों का करंट का झटका लग सकता है। इन तारों में 25 हजार वोल्ट तक का करंट रहता है।
बिना ब्लॉक के किया जा रहा था काम
रेलवे और ठेकेदार द्वारा यहां बिना ब्लॉक लिए काम कराया जा रहा था। हादसा होते ही रेल यातायात ठप हो गया। इसके चलते चंबल पुलिया से पहले, कोटा और सोगरिया के पहले मालगाड़ियों की लाइन लग गई। बाद में केशवरायपाटन से मौके पर पहुंची टावर वैगन द्वारा तारों की मरम्मत की गई। रेलवे द्वारा इस काम में हुए खर्च का हिसाब लगाया जा रहा है। यह खर्च ठेकेदार से वसूला जाएगा। 
रेलवे ने जांच के लिए टीआरडी, एस एंड टी और रेल पथ इंजीनियर सुपरवाइजरों की तीन सदस्यी कमेठी का गठन किया है।


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