अजमेर के इतिहास में पहली बार नहीं निकलेगी राठौड़ बाबा की सवारी
आवाज टुडे@अजमेर। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते लाँक डाउन के कारण 500 साल के इतिहास में पहली बार राजसी ठाटबाट से राठौड़ बाबा की सवारी आज नहीं निकलेगी। राजस्थानी संस्कृति एवं आस्था शिव पार्वती के प्रतीक राठौड़ बाबा यानि गणगौर की सवारी नहीं निकल पयेगी। गणगौर सवारी की पांच सौ साल की परंपरा में यह पहला अवसर है जब किसी महामारी के चलते गणगौर की सवारी नहीं निकल पा रही है।
अजमेर में चैत्र माह दशमी को गणगौर की सवारी निकालने की परंपरा रही है। सोने के आभूषणों से सजी शिव-पार्वती की प्रतिमाओं का दर्शन करने के लिए नया बाजार क्षेत्र में हजारों लोग एकत्रित होते हैं। गणगौर की सवारी को उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।
गणगौर की सवारी कार्यक्रम के संयोजक मुन्नालाल अग्रवाल ने बताया कि कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर जो लॉक डाउन चल रहा है, उसे देखते हुए सवारी नहीं निकाली जा रही है। उन्होंने बताया कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को सवारी निकलनी थी। लेकिन 3 अप्रैल से पहले प्रतिमाओं को ताले से बाहर ही नहीं निकाला गया। गणगौर की सवारी के बाद प्रतिमाओं को मोदियाना गली स्थित तेजकरण और लक्ष्मण मोदियाना के परिवार में सुरक्षित रखा जाता है।
अग्रवाल ने बताया कि राठौड़ बाबा का सवारी प्रति वर्ष मोदियाना गली से निकल कर नया बाजार चौपड़ होते हुए आगरा गेट तक पहुंचती है। इस एक किलोमीटर के सफर को पूरा करने में कई घंटे निकल जाते हैं। लेकिन इस बार अजमेर के लोग गणगौर की सवारी का आनंद नहीं ले पा रहे हैं। यह सवारी सोल थम्बा फरीकेन की ओर से निकाली जाती है।
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