- अखिल भारतीय बेरोजगार मजदूर किसान संघर्ष समिति की मांग
- किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट दोगुनी और ब्याज दर 1 फीसदी किया जाए
- 50 पूँजीपतियों का 68 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज माफी तो गरीब किसान की पूर्ण कर्ज माफी क्यो नही?
आवाज टुडे@अजमेर। अखिल भारतीय बेरोजगार मजदूर किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज दुबे व राष्ट्रीय महासचिव तथा अजमेर संभाग के प्रभारी शैलेन्द्र अग्रवाल ने लॉकडाउन में किसानों को हो रही परेशानियों को देखते हुए किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट दोगुनी करने के साथ ही उसकी ब्याजदर को भी कम करने की मांग करते हुए कहा कि जब 50 पूंजीपतियों का 68 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज माफ किया जा सकता है तो फिर गरीब किसानों का पूर्ण कर्ज माफी क्यो नही? इसीके साथ गरीब किसान, मजदूर व आम जनता के साथ मध्यम वर्ग को राहत व आर्थिक पैकेज की घोषणा क्यों नही की जा रही है?
दुबे व अग्रवाल ने केन्द्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि है कि किसान क्रेडिट कार्ड कि लिमिट 6 लाख रुपये करने के साथ ही ब्याज दर कम करके 1 फीसदी किया जाए। मौजूदा समय में इसकी लिमिट 3 लाख रुपये है और पैसा चुकाने पर लगने वाली ब्याज दर 4 फीसदी है।
दुबे व अग्रवाल ने कहा कि इससे कोरोना माहामारी वाले दौर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। पूरे देश में इस वक्त लगभग 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं और करीब सात करोड़ किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड है। किसान क्रेडिट कार्ड में बदलाव के अतिरिक्त उन्होंने किसानों के सभी प्रकार के कर्ज माफ करने की मांग की है।
दुबे व अग्रवाल ने कहा कि आर्थिक मंदी, महंगाई की मार के साथ साथ मौसम की मार, निजी कर्ज, बैंक के कर्ज की मार के बाद लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। यही नही सब्जी उत्पादक किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है। टमाटर करेला भिंडी बैगन सहित सभी सब्जियां खेत मे खड़ी खड़ी बर्बाद हो रही है ऐसे हालात में किसानों को राहत व संबल देने की अति आवश्यकता है नही तो किसान तबाह ओर बर्बाद हो जाएगा।
दुबे व अग्रवाल ने कहा कि कोरोना आपदा की मार झेल रहे देश के गरीब, बेरोजगार, मजदूर, किसान और मध्यम वर्ग पर केन्द्र सरकार पर्याप्त राहत ना देकर लगातार सितम कर रही है दूसरी और 50 पूँजीपतियों को कर्ज माफी देकर केन्द्र सरकार जनादेश के साथ विश्वासघात कर रही है, ऐसे समय जब गरीब किसान व आम जनता के साथ साथ मध्यमवर्ग को बडे सम्बल और आर्थिक पैकेज की जरूरत थी, ऐसे समय मे 68 हजार करोड़ रुपए से अधिक का डिफॉल्टर्स का कर्जा बट्टे खाते डालना लोकडाउन में भूखे प्यासे राहत पैकेज का इंतजार कर रहे प्रवासी बेरोजगार मजदूरों व गरीब किसानों तथा मध्यम वर्गीय लोगों के जख्मो पर नमक छिड़कने वाला कदम है।तथा अन्नदाता के साथ साथ, गरीब बेरोजगार मजदूरों व आम जनता के साथ भी केन्द्र सरकार का क्रूर मजाक है।
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