नाग नागिन मंदिर में मनाई तेजा दशमी
आवाज टुडे@कोटा
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन तेजा दशमी पर्व मनाया जाता है. इसके चलते आज शुक्रवार को तेजा दशमी मनाई जा रही है। कोटा में नाग नागिन मंदिर सहित कई जगह पर बने तेजाजी के थान थान पर तेजाजी महाराज की विशेष आराधना की गई हालांकि कोविड-19 के चलते मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पाबंदी रही लेकिन मंदिर के व्यवस्थापक और पंडितों के सानिध्य में तेजाजी महाराज की दशमी के आयोजन किए गए। नाग नागिन मंदिर में पंडित मुकुट बिहारी शर्मा केसर के सानिध्य में तेजाजी महाराज का विशेष श्रृंगार किया गया और उनकी आराधना कर सभी के लिए मंगल कामना और कोविड-19 के जल्द खत्म होने की प्रार्थना की गई।
हिंदू सनातन धर्म के अलावा स्थानीय परिदृश्य में अनेक लोक देवताओं के पूजन की परंपरा चली आ रही है. इन्हीं में से एक है वीर तेजाजी महाराज (Tejaji Maharaj) का पूजन. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन तेजा दशमी (Teja Dashmi 2020) पर्व मनाया जाता है. इसके चलते आज शुक्रवार (Friday) को तेजा दशमी मनाई जा रही है. मध्यप्रदेश और राजस्थान में गांव-गांव में तेजा दशमी मनाई जाती है और इस दिन अनेक जगहों पर तेजाजी के मंदिरों में मेले का भी आयोजन किया जाता है. हालांकि इस बार कोरोना (Corona) महामारी के चलते मेले नहीं लगे हैं. मान्यता है कि सर्पदंश से बचने के लिए वीर तेजाजी का पूजन किया जाता है. तेजा दशमी की कथा प्रचलित लोक कथा के अनुसार प्राचीन समय में तेजाजी राजा बाक्साजी के पुत्र थे. वे बचपन से ही साहसी थे और जोखिमभरे काम करने से नहीं डरते थे. एक बार वे अपने साथी के साथ बहन को लेने उसके ससुराल गए. उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी. बहन के ससुराल जाने पर तेजा को पता चला है कि मेणा नामक डाकू अपने साथियों के साथ बहन की ससुराल से सारी गायों को लूटकर ले गया है. तेजाजी अपने साथी के साथ जंगल में मेणा डाकू से गायों को छुड़ाने के लिए गए. रास्ते में एक बांबी के पास भाषक नाम का सांप घोड़े के सामने आ जाता है और तेजा को डंसने की कोशिश करता है. तेजाजी उस सांप को वचन देते हैं कि अपनी बहन की गायों को छुड़ाने के बाद मैं वापस यहीं आऊंगा, तब मुझे डंस लेना. ये सुनकर सांप रास्ता छोड़ देता है.
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