चंबल नगरी में सावन महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी को मोना पंचमी (नाग पंचमी) के रूप में मनाया गया। इस मौके पर शिवालयों में भक्तों ने नाग देवता की प्रतिमा का विशेष पूजन किया। इसके साथ ही भक्तों ने भगवान शिव की भी आराधना की और अपने परिवार की मंगल कामना के लिए भोले भंडारी से प्रार्थना की।
नाग नागिन मंदिर में नाग पंचमी पर विशेष धार्मिक आयोजन किए गए। इन धार्मिक आयोजनों में भक्तों ने सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए नाग देवता के दर्शन किए और उनकी पूजा-अर्चना कर रोग लगाया और सभी के लिए मंगल कामना की।
नाग नागिन मंदिर पंडित मुकट शर्मा ने बताया कि सावन महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी को मोना पंचमी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की विशेष पूजा का विधान है। पूजा में नाग देवता को खीर, सूखे मेवे आदि अर्पित किए जाते हैं। मोना पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा के साथ ही भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व है।
मान्यता है कि इस दिन शिवजी की पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान में बढ़ोतरी होती है। मोना पंचमी के दिन मौन रखने का भी विशेष महत्व है। मौन को सत्य के सार्थक का अनिवार्य गुण माना जाता है। इससे व्यक्ति के अंदर आत्मिक प्रसन्नता और सकारात्मक तथा का संचार होता है।
नाग नागिन मंदिर में नाग पंचमी पर्व का शुभारंभ सुबह 5:30 बजे दुग्ध अभिषेक से किया गया। भगवान शिव के प्रेमियों ने नाग देवता की प्रतिमा पर दूध और फलों के रस से अभिषेक किया। इसके बाद नाग देवता का नयनाभिराम श्रृंगार किया गया। श्रंगार झांकी में सभी भक्तों का मन मोह लिया। मंदिर में दिनभर भक्तों का ताता लगा रहा। भक्तों ने सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए नाग देवता के दर्शन किए और उनकी विशेष आराधना कर कोरोना के खात्मे के लिए प्रार्थना की।
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