आवाज़ टुडे न्यूज़ जयपुर/कोटा। राजस्थान रोडवेज में परिचालकों की पदौन्निति सहायक यातायात पर दूर की कोड़ी वर्षों से साबित होती आ रही है इतिहास गवाह है, रोडवेज में परिचालक वर्ग हमेशा गुलामी में जकड़ा हुआ है, पदौन्निति तो भाग्यशाली होता है उसको भी अल्प समय के लिए बे मुश्किल मिल पाती है, वैसे तो रोडवेज में अंधी नगरी चौपट राज के तहत तो परिचालक से संभाग प्रबंधक तक एवं छठी पास मुख्य प्रबंधक तक बन जाते हैं, विधानसभा एसीबी तक गुंज हो चुकी है लेकिन रोडवेज को कोई फर्क नहीं पडता और नहीं पड रहा है, परिचालक वर्ग अधिकांश तो पूरा सेवाकाल पूरा ही नहीं कर पाता है भाग्यशाली मानते हैं जो अपना सेवा काल पूरा कर लेते हैं, मजेदार बात तो यह पदौन्निति केवल दिखाने के लिए बे मुश्किल आठ दस की पदौन्नितिअल्पसमय कर पचास, सौ, के लगभग सेवा निवृत्ति के पश्चात पदौन्निति देकर इतिश्री कर खानापूर्ति कर विराम देते हैं, यहाँ पर उल्लेखनीय बात तो यह है, परिचालक वर्ग बे मुश्किल, 9,18, चयनित वेतन ले पाते हैं, 27,वर्ष का लाभ तो मुश्किल भरा है, लेकिन रोडवेज में कोटा आगार में एक परिचालक ने अनेकों यातनाएं झेलने के वाबजूद समयनुसार 9,18,27, का चयनित वेतनमान, 27,वर्ष दिनांक 24,11,2011, में लेने के पश्चात आज तक पदौन्निति नहीं दी गई है, मार्ग पर एवं कांटों भरे ताज के वाबजूद भ्रष्टाचार, रिर्माक, गबन आज तक नहीं है, लेकिन पदौन्निति नहीं दी है रोडवेज के नियमानुसार पूरे करते हैं, और इसे भी मजेदार बात तो यह है (38/वर्ष) की नौकरी पूर्ण कर चुका है, लेकिन रोडवेज में नियमानुसार है कहाँ है, अल्प समय बचा है, मजेदार बात तो यह है कि सेवा निवृत्ति परिचालकों को पदौन्निति देकर क्या कोई लाभ मिलेगा, रोडवेज बताये, अप्रत्यक्ष रूप से पर्दे के पीछे खेल होता है सबको पता है लेकिन स्वाद सबको आ रहा है , परिचालक पदौन्निति की बांट जोते रह जायेगें और सेवा निवृत हो जायेंगे।
अपनों को मलाई, चाटुकारों की मौज :
राजस्थान रोडवेज में जबर्दस्त परिचालक वर्ग के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जाता है मुख्यालय में बैठे चाणक्य चाटुकार स्वार्थी भृष्ट शीर्ष प्रबंधनौ के सलाहकार सरताज अजीज चापलूस गुमराह जयचंदौ की फौज क्या कर रही है हाल ही में आदेश संख्या 418/दिनांक 29/7/2019 को पत्रक वितरक/परिचालकों की पदौन्नति सहायक यातायात निरीक्षकों के पद पर संख्या सूची ( 45) है जिसमें (26) सेवा निवृत्त हो चुके है।और(19) जो भी लम्बे समय के लिए नहीं है कोई के 4/8/10/12महीने के लगभग है यह परिचालक वर्ग के साथ खिलवाड़ पहली बार नहीं हुआ है लम्बे समय से होता आ रहा है मजेदार बात तो यह है कि जो परिचालक से सहायक संभाग प्रंबधक तक पहुंचे हैं न तो वरिष्ठ है और नहीं पात्रता रखते हैं कैसे पहुंचे तो मुख्यालय में बैठे भृष्टौ की फौज तुरंत मामले को पटाक्षेप करते हुए जवाब देंगें (नियम-कानून के तहत) जयचंद,भृष्ट यह बताये परिचालक कि बेमशुकिल तो सेवानिवृत्त तक पहुंच पाता है जो खुशनसीब होगा अन्यथा कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाता रहेगा अधिकांश परिचालक तो 18/27वर्ष चयनित वेतनमान का लाभ नहीं ले पाते हैं। ऐसे हालातों में भृष्ट जयचंद बताये कि परिचालक से सहायक संभाग प्रंबधक तक कैसे बने(यहां उल्लेखनीय बात है विशेष योग्यता वाले वंचित रह जाते हैं
केवल साम-दाम-दंड-भेद वाले परिचालक ही सहायक संभाग प्रंबधक तक और पदौन्नति लेते हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें