- परिचालक से सहायक यातायात निरीक्षक की पदोन्नति का मामला
- कई योग्य परिचालक अब भी डीपीसी के इंतजार में
- समय पर डीपीसी नहीं करना मुख्यमंत्री के आदेशों की खुली अवहेलना?
- मुख्यमंत्री गहलोत ने रोडवेज सहित सभी विभागों को साल में दो बार डीपीसी कर रिक्त पदों पर पदोन्नति के दिए थे आदेश
आवाज़ टुडे न्यूज़।
राज्य सरकार ने हाल ही में जारी तबादला सूचियों में आनंद कुमार को राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम का नया अध्यक्ष और नथमल डिडेल को नया प्रबन्ध निदेशक बनाया है। ऐसे में अब क्या रोडवेज के नए मुखिया पदोन्नति के मामले में परिचालक वर्ग की पीड़ा को समझेंगे? राजस्थान रोडवेज में परिचालक से सहायक यातायात निरीक्षक की पदोन्नति का मामला लंबे समय से विवादों में चल रहा है। कई योग्य परिचालक अब भी डीपीसी के इंतजार में है। इन कर्मचारियों का आरोप है की योग्यता नहीं होने के बावजूद डीपीसी में लगातार अपनों को उपकृत किया जाता है, वही समय पर डीपीसी नहीं करना मुख्यमंत्री के आदेशों की खुली अवहेलना है। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रोडवेज सहित सभी विभागों को साल में दो बार डीपीसी कर रिक्त पदों पर पदोन्नति के आदेश दिए थे। इसके बावजूद रोडवेज में समय पर डीपीसी नहीं कर परिचालक वर्ग को समय पर पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है।
राजस्थान रोडवेज की रीढ़ कहा जाने वाला परिचालक वर्ग आज मायूसी के माहौल में काम करने को मजबूर है। लगातार कई वर्षों तक बसों में सफर कर रोडवेज को आय देने वाला परिचालक वर्ग आज अपनी पदोन्नति के इंतजार में है लेकिन कई योग्य कर्मचारियों को समय पर पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पाता। अब तो कर्मचारी दबी जुबान में कहने लगे हैं कि रोडवेज में होता वही है जो प्रबंधन चाहता है। कर्मचारियों का आरोप है कि पूर्व में जारी पदोन्नति सूचियों में अपनों को ही लाभ दिया गया है वही योग्य कर्मचारियों के नाम पदोन्नति सूची से गायब मिले हैं।
रोडवेज कर्मचारियों के अनुसार राजस्थान रोडवेज में कुप्रबंधन नीति की गूंज राजस्थान विधानसभा में भी सुनाई दी गई है लेकिन राजस्थान रोडवेज का ढर्रा आज की वैसा ही है यहां होता वही है जो प्रबंधन चाहता है फिर चाहे सरकार किसी की भी हो। राजस्थान रोडवेज में प्रबंधन स्तर के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर आते हैं और फिर से स्थानांतरित होकर दूसरे विभागों में चले जाते हैं। कर्मचारियों का आरोप है की ऐसे अधिकारी रोडवेज की पीड़ा को नहीं समझ पाते और रोडवेज कर्मचारी समय पर पदोन्नति का लाभ लेने से वंचित रह जाते है।
रोडवेज कर्मचारियों का आरोप है कि जब भी पदोन्नति की बारी आती है तो दिखावे के लिए कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका देखकर स्थानीय आगारो से संबंधित कर्मचारियों का डाटा एकत्र किया जाता है। रोडवेज ने एक बार फिर से परिचालक से सहायक यातायात निरीक्षक के पद पर पदोन्नति के लिए एवं सेवा मानचित्र मांगे है।
जब भी इस तरह की कार्यवाही शुरू होती है तो रोडवेज कर्मचारियों में उम्मीद बंध जाती है कि इस बार तो प्रमोशन हो ही जाएगा लेकिन जब पदोन्नति सूची जारी होती है तो स्थिति कुछ और ही बन जाती है और कई योग्य कर्मचारियों का नाम पदोन्नति सूची से गायब हो जाते हैं। पदोन्नति को लेकर गई परिचालकों ने तो न्यायालय की शरण ली है कर्मचारियों केे अनुसार कोर्ट भी समय-समय पर रोडवेज सेेेेे जवाब मांग चुका है इसकेे बावजूद भी परिचालक वर्ग को मायूस होना पड़ा है।
रोडवेज कर्मचारियों की माने तो प्रबंधन के अधिकारी अपनी चापलूसी से राज्य सरकार को प्रभावित कर देते हैं। इससे रोडवेज कर्मचारियों की बात राज्य सरकार तक प्रभावी तरीके से नहीं पहुंच पाती। इस कारण रोडवेज में वर्षों से भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार का माहौल बना हुआ है। जिससे योग्य कर्मचारी अपने को दबा कुचला महसूस करने को मजबूर है। रोडवेज को अपने नए मुखिया के रूप में अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मिल गया है। ऐसे में पदोन्नति का लाभ लेने से वंचित परिचालक वर्ग में फिर से उम्मीद जगी है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि क्या नए अध्यक्ष और नए एमडी परिचालक वर्ग की लंबे समय से चली आ रही पीड़ा को समझेंगे और परिचालक वर्ग को समय पर पदोन्नति दिलाने के लिए प्रभावी कदम उठाएंगे।
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